शासनादेश संख्या 528(1)15-(उ.शि.)71/97 दिनांक 11 जून 1997 के अनुसार कोई भी छात्र विश्वविद्यालय की किसी भी परीक्षा में सम्मिलित होने की अनुमति तब तक प्राप्त नहीं कर सकेगा जब तक वह व्याख्यान और ट्यूटोरियल कक्षाओं में पृथक-पृथक 75 प्रतिशत पूरी नहीं करता। विज्ञान के विषयों अथवा ऐसे अन्य विषयों में जिनमें प्रयोगात्मक कक्षायें होती हैं, प्रयोगात्मक कक्षाओं में प्रयोगात्मक कार्य की अवधि में 75 प्रतिशत उपस्थिति अपेक्षित होगी।
निम्नलिखित स्थितियों में पूरे सत्र में किसी विषय में, व्याख्यान और सेमिनार/प्रयोगात्मक कक्षाओं में पृथक-पृथक 6 प्रतिशत तक छूट संकायाध्यक्ष (डीन)/प्राचार्य द्वारा तथा 9 प्रतिशत छूट कुलपति द्वारा दी जा सकती है।
1. (अ) विद्यार्थी की लम्बी और गम्भीर बीमारी में कक्षा में सम्मिलित होने के 15 दिन के अन्दर यदि विद्यार्थी ने चिकित्सा प्रमाण पत्र दाखिल कर लिया हो। या
(ब) इसी के समकक्ष किसी अत्यन्त विशेष परिस्थिति में समुचित कारण देने पर।
2. विभागाध्यक्ष की संस्तुति पर स्नातक छात्र को विशेष अध्ययन के निमित्त किसी अन्य विश्वविद्यालय, संस्थान तथा उच्च अध्ययन के लिये किसी केन्द्र में व्याख्यान, प्रयोगात्मक कार्य के लिये कुलपति द्वारा 6 सप्ताह तक की अवधि की अनुमति दिये जाने पर कुलपति द्वारा उपस्थिति न्यूनता का मार्जन किया जा सकेगा। इसके लिये विश्वविद्यालय में अपनी उपस्थिति सूचित करने के एक सप्ताह के भीतर विद्यार्थी को उस संस्थान के जहाँ विद्यार्थी ने अध्ययन किया है, अध्ययन कक्षाओं में उपस्थित, प्रयोगात्मक कार्य, पुस्तकालय में कार्य करने की तिथियों के निर्देश सहित प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा।
3. विश्वविद्यालय/महाविद्यालय द्वारा आयोजित एन.सी.सी. शिविर, खेलकूद के समारोह, राष्ट्रीय सेवा योजना शिविर, शैक्षणिक पर्यटन में भाग लेने अथवा भारतीय सशस्त्र सेनाओं में भर्ती के लिये साक्षात्कार के निमित्त जाने पर उपस्थित न्यूनता मार्जन कर दिया जायेगा बशर्ते सम्बन्धित सक्षम अधिकारी से हस्ताक्षरित प्रमाण पत्र अनुपस्थित रहने के एक सप्ताह के भीतर प्रस्तुत किया गया हो।